Smart Cities Plan of India – Dictation Playlist 464 words
Steno / Shorthand Audio dictation playlist for steno exam skill test preparation.
Dictation transcription – पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्मार्ट सिटी परियोजना को मंजूरी दे दी, जिसके तहत देश में 100 स्मार्ट शहर विकसित किए जाएंगे। इन सौ में ज्यादातर तो मौजूदा शहर ही हैं, जिनका विकास स्मार्ट सिटी की तरह किया जाएगा, लेकिन कुछ एकदम नए नगर भी बसाए जाएंगे। कैबिनेट ने अभी इस मद में 48 हजार करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
स्मार्ट शहर का विचार नब्बे के दशक में उभरी स्मार्ट ग्रोथ की अवधारणा से निकला है। विकास की यह नई रूपरेखा डेविड बॉलियर जैसे विचारकों ने पेश की थी, जिसमें शहरों को एकदम नए सिरे से बसाने पर जोर था। वर्ष 2002 में रॉबर्ट कॉडवेल ने अमेरिकी प्रांत ओरेगन के सबसे बड़े शहर पोर्टलैंड को स्मार्ट ग्रोथ के प्रतीक के रूप में पेश किया।
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बाद में 2008 में आईबीएम कंपनी ने बाकायदा स्मार्ट सिटी का प्रारूप पेश किया। इसकी बुनियाद है डिजिटलाइजेशन और पर्यावरण रक्षा। एक ऐसा शहर, जो कम से कम ऊर्जा और जल की खपत करता हो और जिसका पूरा तंत्र कंप्यूटर से जुड़ा हो। भारत की स्मार्ट सिटीज भी संभवत: ऐसी ही होंगी, जिनमें सभी सूचनाओं तक नागरिकों की पहुंच होगी। यानी नागरिकों को उनकी मांग पर गवर्नेंस और नागरिक सेवाओं से जुड़ी सारी जानकारियां दी जाएंगी।
शहर में स्थानीय रोजगार पर बल दिया जाएगा। शहर का ढांचा इस प्रकार का होगा कि लोगों के कार्यस्थल उनके घर के करीब हों और स्कूल या अस्पताल जाने के लिए भी कार न निकालनी पड़े। ये शहर फिलहाल तो मायालोक की तरह ही लग रहे हैं और इन्हें लेकर कई तरह के प्रश्न भी उठ रहे हैं। इन्हें बनाने पर हजारों करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन क्या ये शहर सबके रहने लायक हो पाएंगे? अभी तो रद्दी से रद्दी शहरों में भी प्रॉपर्टी के रेट इतने ज्यादा हो चले हैं कि 25 हजार रुपया महीना कमाने वाला व्यक्ति भी सिंगल बेडरूम सेट खरीदने के बारे में नहीं सोच पाता।
तो फिर पांच साल बाद खड़े होने वाले ये स्मार्ट शहर आखिर कितनी कमाई वाले नागरिकों को अपने भीतर जगह दे सकेंगे? अधिकतर शहरों में गांवों से अशिक्षित, अकुशल लोग आते हैं, जो किसी तरह रोजी-रोजगार करके अपना गुजारा करते हैं। स्मार्ट शहरों में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह होगी या नहीं? फिर आधुनिकतम सुविधाओं वाले शहरों में सारी सेवाएं कौन उपलब्ध कराएगा? क्या नगरपालिका, पुलिस और दूसरे महकमों को इन शहरों में अचानक स्मार्ट बना दिया जाएगा?
इस मामले में दूसरे देशों के अनुभव से भी सबक लेना होगा। चीन में देखते-देखते खड़े हो गए इस तरह के दसियों स्मार्ट शहरों में रहने वाला कोई नहीं। इन्हें वहां अब घोस्ट सिटी कहा जाने लगा है। दक्षिण कोरिया की सोंगदो सिटी के कमर्शल स्पेस का 20 फीसदी भी पिछले साल नवंबर तक इस्तेमाल में नहीं लाया जा सका था। जाहिर है, अपने स्मार्ट शहर हमें अपनी परिस्थितियों के मुताबिक ही विकसित करने होंगे।
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