Hindi shorthand stenography dictation audio with transcription – 1000 words
Hindi Shorthand dictation playlist audio mp3 with transcription download for all type steno exam preparation.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा 25, 26, 27 जनवरी 2015 को तीन-दिवसीय दौरे पर भारत आयें। बराक ओबामा पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जो26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि बने। ओबामा से पहले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि रह चुके हैं।
बराक ओबामा अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं,जो राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भारत की दो बार यात्रा कर चुके हैं। इस दौरे से पहले 2010 में भी बराक ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर भारत आ चुके हैं। नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधानमंत्री बने अभी एक साल भी नहीं हुआ, लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी की ओबामा से चार मुलाकात हो चुकी है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी सितंबर 2014 में अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं। इसके अलावा दोनों नेता जी-20 की बैठक में ऑस्ट्रेलिया में मिल चुके हैं। इतना ही नहीं बीते साल दोनों नेताओं की एक मुलाकात ईस्ट एशिया समिट में म्यांमार में भी हुई थी।
Download dictation audio mp3 – Use the “save link as” in right-click context menu.
- 1000 words 120 wpm speed
- 1000 words 125 wpm speed
- 1000 words 130 wpm speed
- 1000 words 135 wpm speed
- 1000 words 140 wpm speed
- 1000 words 145 wpm speed
- 1000 words 150 wpm speed
- 1000 words 155 wpm speed
- 1000 words 160 wpm speed
यात्रा के पहले दिन यानी 25 जनवरी को बराक ओबामा ने, नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर अहम बातचीत की। इसमें परमाणु कार्यक्रम और रक्षा से जुड़े कई मुद्दे शामिल थे।
ओबामा अपनी यात्रा के दूसरे दिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके बाद उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत और अमेरिकी कंपनियों के सीईओ की राउंड टेबल बैठक में हिस्सा लिया।
अपनी यात्रा के अंतिम दिन यानी 27 जनवरी को बराक ओबामा ने दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में युवाओं को संबोधित किया। इसके बाद बराक ओबामा भारतीय प्रधानमंत्री के साथ मिलकर ऑल इंडिया रेडियो से ‘मन की बात’ कार्यक्रम में शामिल हुए।
बराक ओबामा ने पहले तय कि गयी अपनी आगरा यात्रा रद्द कर दी। उन्होंने ऐसा सऊदी अरब के शासक अब्दुल्लाह की मौत के बाद किया। सऊदी अरब और अमेरिका लंबे समय से एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं। सऊदी अरब दुनिया का अग्रिम तेल निर्यातक देश रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान भारत-अमेरिका परमाणु करार को पूरी तरह लागू करने में ‘अड़चनों’ को दूर कर लिया गया है। भारत-अमेरिका परमाणु करार एटमी ऊर्जा के लिये हुआ था ताकि भारत अपने परमाणु संयंत्रों में यूरेनियम के इस्तेमाल से बिजली बनाए, इन संयंत्रों का इस्तेमाल देश की तरक्की में हो।
भारत के साथ अमेरिकी करार मुमकिन करने के लिए अमेरिका ने अपने संविधान की अड़चनों को पार करने के लिए दिसंबर 2006 में एक कानून पास करवाया जिसे ‘हाइड एक्ट’ कहा जाता है। इसके बाद परमाणु करार तो हो गया, लेकिन भारत के दो दर्जन से अधिक रियेक्टर परमाणु संयंत्रों की निगरानी करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन IAEA यानी International Atomic Energy Agency की देखरेख में आ गये हैं। वैसे दुनिया के कई देश भारत को अब भी यूरेनियम की सप्लाई नहीं कर रहे है।
भारत के सामने फिलहाल परमाणु बिजलीघरों को चलाने के लिए दो मुख्य दिक्कतें हैं।
1) परमाणु ईंधन यानी यूरेनियम की सप्लाई
2) न्यूक्लियर रियेक्टर यानी परमाणु भट्टियों की खरीद
अमेरिका चाहता था कि वह जो यूरेनियम भारत को सप्लाई करे उसके इस्तेमाल से लेकर री-साइकिलिंग स्टेज तक हर वक्त उसकी निगरानी का अधिकार भी उसे दिया जाये। भारत का तर्क है कि आईएईए पहले ही निगरानी कर रहा है और ईंधन देने के बाद अमेरिका की निगरानी करना अनावश्यक है। इस बिंदु पर कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर भारत को ये भरोसा दे दिया है कि अमेरिका संयंत्रों में इस्तेमाल हो रहे यूरेनियम की निगरानी की मांग नहीं करेगा। इसे भारत के लिहाज से बड़ी उपलब्धि कहा जा रहा है।
दूसरा सवाल, परमाणु बिजलीघरों के लिए भट्टियां खरीदने का है। साल 2010 में बना भारत का न्यूक्लियर लाइबिलिटी कानून कहता है कि अगर परमाणु बिजलीघर में कोई हादसा होता है तो इन परमाणु भट्टियों को सप्लाई करने वाली कंपनी से भी मुआवज़े की मांग की जा सकती है। अमेरिकी कंपनियां भारतीय कानून के इस क्लॉज को मानने को तैयार नहीं हैं।
भारत और अमेरिका के बीच कई दौर की बातचीत के बाद अब मुआवज़े की राशि को लेकर एक 1500 करोड़ का फंड बनाने की बात हुई है। भारतीय बीमा कंपनियों की मदद से 750 करोड़ का एक फंड बनेगा जिसमें इतनी ही राशि यानी 750 करोड़ भारत सरकार भी जमा करेगी ताकि हादसा होने की स्थिति में प्रभावितों के लिए राशि का इंतज़ाम हो सके, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसा फंड बनाने से भारतीय जनता का पैसा मुआवज़े के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा? इस बारे में अभी सरकार ने कोई ब्लूप्रिंट आधिकारिक रूप से नहीं बताया है, लेकिन एक सवाल ये है कि क्या भारतीय बीमा कंपनियों के लिए इसके आर्थिक बोझ को झेलना मुमकिन होगा? जानकार कहते हैं कि भले ही इस मामले में दोनों सरकारों के स्तर पर एक कामयाबी हासिल कर ली गई हो तो भी अमेरिकी कंपनियां भारत को परमाणु रियेक्टर बेचेंगी इसमें शक है, क्योंकि इन भट्टियों को बेचते वक्त उन्हें मुआवज़े के लिए प्रीमियम का कुछ हिस्सा ज़रूर देना पड़ेगा। ऐसे में अमेरिकी कंपनियों को अगर लगा कि सौदे की कीमत काफी ऊंची हो रही है तो वह पीछे हट सकती हैं।
आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। आतंकवाद की मौजूदा चुनौतियां बने रहने के बीच यह एक नया रूप ले रहा है। ऐसे में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि आतंकवाद से लड़ने के लिए एक व्यापक रणनीति और नजरिया अपनाने की जरूरत है। दोनों देश आतंकी समूहों के खिलाफ अपने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और गहरा करेंगे। आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को और मजबूत बनाएंगे, जिसमें टेक्नोलॉजी का क्षेत्र भी शामिल है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर दोनों देशों ने युवा पीढ़ी के लिए खुद को उत्तरदाई बताया। दोनों शीर्ष नेताओं ने कहा कि हर सरकार, हर देश और हर व्यक्ति को इस ओर अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है। समझौते के तहत भारतीय शहरों को स्वच्छ हवा देने के लिए दोनों देश एक संयुक्त स्मार्ट प्रोजेक्ट के साथ आएंगे। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा, इसे लेकर कोई घोषणा नहीं की गई।
1000 words
Download dictation transcription pdf file – dictation transcription
[related_post themes=”flat”]
how to short hand dictation achieved